सतरंगा बल्ब जलाया है शाम के साए ने
सफेद दीवार पर छितरा गयी नटखट किरणें
खिड़किी से अंदर आया अँधेरा जमींदोज होने लगा
उफनाई नदी लील गयी आखिरिी सीढी भिी
घाट पर छुूट गया एक सीप
जिसमें बन्द कहानी को मोती नहीं बनना था
आ्ँगन वाली गौरैया भिी बतियाना भुूल गयी
ताल वाली मछली से
पंख पर रखा आसमान उम्मीदों की परवाज लिए
सपनों के बोझ से थकने लगा है
झिलमिल सी रेत को बन्द कर रखा है
शीशे के मर्तबान में
वक्त अलट पलट कर सिद्ध कर रहा हमें
तहखानों में दफ्न सुनहरी मछली काली हो गयी
और मैं लिख रही हूँ सफेद कागज पर सफेद रंग से
इन्द्रधनुषी कविता
मन को भरमाना जरुरी होता है...!!!
सफेद दीवार पर छितरा गयी नटखट किरणें
खिड़किी से अंदर आया अँधेरा जमींदोज होने लगा
उफनाई नदी लील गयी आखिरिी सीढी भिी
घाट पर छुूट गया एक सीप
जिसमें बन्द कहानी को मोती नहीं बनना था
आ्ँगन वाली गौरैया भिी बतियाना भुूल गयी
ताल वाली मछली से
पंख पर रखा आसमान उम्मीदों की परवाज लिए
सपनों के बोझ से थकने लगा है
झिलमिल सी रेत को बन्द कर रखा है
शीशे के मर्तबान में
वक्त अलट पलट कर सिद्ध कर रहा हमें
तहखानों में दफ्न सुनहरी मछली काली हो गयी
और मैं लिख रही हूँ सफेद कागज पर सफेद रंग से
इन्द्रधनुषी कविता
मन को भरमाना जरुरी होता है...!!!